Bihar Jamin Survey: बिहार जमीन सर्वे से पहले पांच एकड़ का मालिक, अब मात्र 5 कट्ठा! गजबे हो रहा 'खेल'
Bihar Land Survey: सुपौल के पिपरा प्रखंड में भू-सर्वे में बड़ी गड़बड़ियों की शिकायतें हो रही हैं। कटैया माहे और तुलापट्टी पंचायतों के लोगों को गलत पर्चे मिले हैं। जिसके बाद बवाल हो गया है।
बिहार के सुपौल जिले के पिपरा प्रखंड में भू-सर्वे में बड़ा खेल सामने आया है। कटैया माहे और तुलापट्टी पंचायतों के लोग कह रहे हैं कि सर्वे के बाद दिए गए पर्चों में कई गलतियां हैं। किसी को पूरी जमीन का पर्चा नहीं मिला, तो किसी के पर्चे में नाम और जमीन की जानकारी किसी और की है। लोगों का आरोप है कि घर बैठे सर्वे की वजह से यह गड़बड़ी हुई है। उन्होंने जिला प्रशासन से जांच की मांग की है। और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
पिपरा प्रखंड के कटैया माहे और तुलापट्टी पंचायतों में भू-सर्वे का काम पिछले तीन साल से चल रहा था। हाल ही में जब सर्वे के बाद लोगों को उनके जमीन के पर्चे मिलने शुरू हुए, तो गड़बड़ी का पता चला। लोगों का कहना है कि सर्वे के नाम पर पैसे भी लिए गए। सोमवार को कटैया गोठ में हुई एक बैठक में लोगों ने अपनी शिकायतें रखीं और जिला प्रशासन से उच्च स्तरीय जांच की मांग की। अगर जल्द ही कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो लोग प्रखंड मुख्यालय से लेकर जिला मुख्यालय तक प्रदर्शन करने की चेतावनी दे रहे हैं।
हैरान करने वाली बात यह है कि यह मामला सिर्फ कटैया माहे और तुलापट्टी पंचायतों तक ही सीमित नहीं है। प्रखंड की बाकी पंचायतों से भी ऐसी ही शिकायतें मिल रही हैं। कटैया माहे में तो लोगों को 18 अक्टूबर तक आपत्तियां दर्ज कराने के लिए कहा गया है। लेकिन, अभी तक बहुत से लोगों को उनके जमीन के पर्चे तक नहीं मिले हैं।
जिन लोगों को पर्चे मिले हैं, उनमें भी कई खामियां हैं। किसी के पास पांच एकड़ जमीन है, तो उसे पांच कट्ठा जमीन का ही पर्चा दिया गया है। कई मामलों में तो पर्चे पर नाम किसी और का है और जमीन का ब्योरा किसी और का है। कुछ जगहों पर खाता खेसरा सही होने के बावजूद रकबा और चौहद्दी गलत है।
लोगों का कहना है कि जिस अमीन ने सर्वे किया था, उसका तबादला हो गया है। नए अमीन को सर्वे की जानकारी नहीं है, इसलिए जल्दबाजी में गलत पर्चे बांटे जा रहे हैं। इतना ही नहीं, एक ही खेसरा को कई हिस्सों में बांट दिया गया है। कटैया पंचायत के पैक्स अध्यक्ष अनिल कुमार ने बताया कि नियमों के मुताबिक सर्वे कर्मियों को घर-घर जाकर जमीन के कागजातों की जांच करनी थी। लेकिन ऐसा किया ही नहीं गया।