नीतीश-चिराग को साइलेंट करने को BJP का प्लान 'S' एक्टिव, बिहार में सियासी 'खेला' की तैयारी तो नहीं!
Bihar Politics: हरियाणा की सफलता के बाद बीजेपी अब बिहार में हिंदुत्व को चुनावी मुद्दा बनाएगी। गिरिराज सिंह की हिंदू स्वाभिमान यात्रा इसका संकेत है।
हरियाणा विधानसभा चुनाव में मिली जीत के बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) अब हिंदुत्व के मुद्दे को बिहार में भी उठाने की तैयारी कर रही है। भाजपा नेता गिरिराज सिंह की 'हिंदू स्वाभिमान यात्रा' इस रणनीति का स्पष्ट संकेत है। जदयू नेता नीतीश कुमार इस मुद्दे पर असहज दिख रहे हैं, क्योंकि भाजपा अपने आक्रामक रुख के साथ आगे बढ़ रही है।
भाजपा की यह रणनीति कई घटनाओं से स्पष्ट होती दिख रही है। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का उत्तर बिहार दौरा और अमित शाह की जनसभाएं इस ओर इशारा करती हैं। हरियाणा में आरएसएस ने 1600 से अधिक सभाएं कर कांग्रेस को हराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। भाजपा नेतृत्व को उम्मीद है कि यह रणनीति बिहार में भी कारगर साबित होगी।
भाजपा का मानना है कि आक्रामकता ही सबसे अच्छा बचाव है। गिरिराज सिंह का कहना है कि बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार जैसी घटनाएं बिहार में भी हो सकती हैं। उनका मानना है कि चरमपंथी ताकतों से बचने के लिए हिंदुओं को एकजुट होना होगा। इसके लिए वह 18 अक्टूबर से 'हिंदू स्वाभिमान यात्रा' निकाल रहे हैं, जो भागलपुर से शुरू होकर किशनगंज में समाप्त होगी।
यह यात्रा उन क्षेत्रों से होकर गुजरेगी जहां मुस्लिम आबादी अधिक है। भाजपा की रणनीति मुस्लिम वोट बैंक को प्रभावित करने की है। गिरिराज सिंह ने दुर्गा पूजा के दौरान अस्त्र-शस्त्र बांटने का समर्थन कर इस रणनीति को और स्पष्ट कर दिया है। हालांकि, बिहार में भाजपा के सामने कई चुनौतियां भी हैं।
नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जदयू, भाजपा पर लगातार दबाव बना रही है। लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन के बाद जदयू, आगामी विधानसभा चुनाव में बड़े भाई की भूमिका निभाने की मांग कर रही है। जदयू ने 120 सीटों पर चुनाव लड़ने का लक्ष्य रखा है, जो भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है।
इसके अलावा चिराग पासवान के नेतृत्व वाली लोजपा (आर) भी 50 सीटों पर दावा कर रही है। पशुपति पारस की राष्ट्रीय लोजपा भी उचित हिस्सेदारी की मांग कर रही है। इन मांगों के बीच भाजपा को अपने सहयोगियों को साधने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी।
राजनीतिक गलियारों में यह भी चर्चा है कि नीतीश कुमार एक बार फिर महागठबंधन में शामिल हो सकते हैं। राजद विधायक भाई वीरेंद्र ने भी इस बात का संकेत दिया है। अगर ऐसा होता है तो भाजपा के लिए बिहार में अपनी स्थिति मजबूत बनाए रखना मुश्किल हो जाएगा।
कुल मिलाकर कहा जाए तो बिहार की राजनीति में हिंदुत्व एक बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है। भाजपा इस मुद्दे को उठाकर अपने पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश कर रही है। हालांकि, जदयू और लोजपा जैसी पार्टियों के दबाव के चलते भाजपा के लिए यह राह आसान नहीं होगी। देखना होगा कि आने वाले समय में बिहार की राजनीति किस ओर करवट लेती है।