केके पाठक की हो गई बिहार जमीन सर्वे में एंट्री, नीतीश के 'खास' IAS को मिला 'पंच परमेश्वर' वाला पावर

Bihar jamin Survey: बिहार में जमीन के सर्वेक्षण और अतिक्रमण मुक्ति का कार्य जारी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खास आईएएस अधिकारी केके पाठक ने पांच अधिकारियों की नियुक्ति की है।

Update: 2024-10-08 08:59 GMT

बिहार में चल रहे भूमि सर्वेक्षण में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी आईएएस अधिकारी केके पाठक की अहम भूमिका हो गई है। सरकार ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि सरकारी और निजी जमीनों की जांच की जाएगी। बेतिया राज की जमीनें सरकार के अधीन हैं और ज्यादातर पर कब्जा है। राजस्व पर्षद इन जमीनों को कब्जा मुक्त कराने में जुटी है। इसके लिए पांच अधिकारियों को नियुक्त किया गया है, जो अलग-अलग जिलों से आए हैं।

बता दें कि बिहार में राजस्व और भूमि सुधार विभाग ने सरकारी जमीन के सर्वेक्षण की पहल की है। बेतिया राज की हजारों एकड़ जमीन से अवैध कब्जे हटाने के लिए नए सिरे से कोशिशें शुरू हो गई हैं। राजस्व पर्षद के अध्यक्ष केके पाठक ने इस काम के लिए पांच अधिकारियों को नियुक्त किया है। बेतिया राज की जमीन पर लंबे समय से कब्जे की शिकायतें मिल रही थीं।

राजस्व पर्षद के अध्यक्ष केके पाठक ने इस समस्या से निपटने के लिए सर्वेक्षण और कब्जा मुक्त कराने की योजना बनाई है। इस काम में तेजी लाने के लिए उन्होंने पांच अनुभवी अधिकारियों की नियुक्ति की मांग की थी। राजस्व पर्षद के अध्यक्ष ने 28 अगस्त को राजस्व और भूमि सुधार विभाग को पत्र लिखा था।

केके पाठक ने अपने पत्र में लिखा था कि बेतिया राज की समस्त भूमि बिहार और उत्तर प्रदेश में है। जमीन का समुचित प्रबंधन, सर्वेक्षण, अतिक्रमण मुक्ति का कार्य, बेतिया राज से संबंधित विभिन्न न्यायालयों में दायर केस में सरकार का पक्ष रखना का कार्य करने के लिए राजस्व सेवा के पांच अधिकारियों की जरूरत है। ऐसे में राजस्व सेवा के 5 अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति करें।

विभाग ने केके पाठक की मांग को स्वीकार करते हुए पांच अधिकारियों को नियुक्त किया है। ये अधिकारी हैं सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी संजीव कुमार राय, बद्री प्रसाद गुप्ता, सुबोध कुमार, निशिकांत, अमित कुमार। ये सभी अधिकारी पहले से ही अलग-अलग जिलों में तैनात थे। इन अधिकारियों को बेतिया राज की जमीन के सर्वेक्षण, कब्जा मुक्त कराने और अदालत से जुड़े मामलों को देखने की जिम्मेदारी दी गई है। इतना ही नहीं, जरूरत पड़ने पर इन्हें बिहार के बाहर भी तैनात किया जा सकता है।

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