बिहार में 7000 करोड़ की सड़क को नहीं मिल रहा रास्ता, 24 महीने से हो रही तलाश; जानें क्यों
Bihar Road News: बिहार में सात हजार करोड़ रुपये की सड़क परियोजनाएं जमीन की कमी के कारण पिछले दो साल से रुकी हुई हैं। डेढ़ दर्जन परियोजनाओं की मंजूरी दो साल पहले मिली थी।
बिहार में 7000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बनने वाली सड़कें जमीन की कमी के चलते अटकी पड़ी हैं। पिछले दो सालों से इन सड़कों का काम आगे नहीं बढ़ पाया है, जिसकी वजह से लगभग 15 परियोजनाएं अधूरी पड़ी हैं। इनमें से कई परियोजनाओं के लिए तो टेंडर प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और निर्माण एजेंसियों का चयन भी हो चुका है, लेकिन जमीन नहीं मिलने के कारण काम शुरू नहीं हो पा रहा है।
पथ निर्माण विभाग के अनुसार, अमदाबाद-मनिहारी सड़क का जीर्णोद्धार और चौड़ीकरण होना है, लेकिन जमीन की अनुपलब्धता के कारण एक एजेंसी को तो हटाया भी जा चुका है। इसी तरह, दरभंगा-बनवारी पट्टी सड़क को चार लेन का बनाया जाना है और इसके लिए काम भी आवंटित हो चुका है, लेकिन जमीन नहीं मिलने के कारण एजेंसी से अनुबंध नहीं हो पा रहा है। रामनगर-रोसड़ा सड़क के लिए भी टेंडर हो चुका है, लेकिन जमीन मालिकों को मुआवजा राशि मिलने में देरी हो रही है, जिसके कारण एजेंसी काम शुरू नहीं कर पा रही है। एकंगरसराय में बनने वाले आरओबी के लिए एजेंसी का चयन तो हो गया है, लेकिन यहां भी जमीन की समस्या के कारण काम शुरू नहीं हो सका है।
गया बाईपास के लिए भी एजेंसी का चयन हो चुका है, लेकिन विभाग जमीन के अभाव में उससे अनुबंध नहीं कर पा रहा है। दाउदनगर, नासरीगंज, और दावथ बाईपास के निर्माण कार्य भी आवंटित हो चुके हैं, लेकिन एजेंसी से अनुबंध नहीं हो पाया है। चौसा-बक्सर बाईपास, कटोरिया, लखपुरा, बांका, पंजवारा बाईपास, सरवन-चकाई, भागलपुर-खरहरा-ढाका मोड़, शेखपुरा, जमुई, खैरा बाईपास, केन्दुआ, झाझा, नरगंजो, मानगोबंदर बाईपास, मुक्तापुर-किशनपुर के बीच आरओबी, जंदाहा बाजार बाईपास, लालगंज-गणपतंज, और मेहरौना घाट सीवान सड़क जैसी कई महत्वपूर्ण परियोजनाएं जमीन की कमी के कारण अटकी हुई हैं।
इन सभी परियोजनाओं की कुल लंबाई लगभग 300 किलोमीटर है और इनके निर्माण से राज्य की सड़क व्यवस्था में सुधार और आर्थिक विकास को गति मिलने की उम्मीद थी। हालांकि, जमीन अधिग्रहण में हो रही देरी के कारण इन परियोजनाओं का भविष्य अनिश्चित बना हुआ है।