केके पाठक का बेतिया-मोतिहारी में चलेगा डंडा, अब हर हाल में खाली करना होगा बेतिया राज की जमीन!

Bihar Jamin Survey: बेतिया राजघराने की हजारों एकड़ जमीन अब बिहार सरकार के नियंत्रण में होगी। विधानमंडल ने इसे मंजूरी दे दी है। यह जमीन बिहार और उत्तर प्रदेश में फैली है। इसकी कीमत अरबों में आंकी गई है।;

Update: 2024-11-26 13:58 GMT

Bihar Land Survey: बिहार विधानमंडल ने बेतिया राज की विशाल संपत्ति को सरकार के नियंत्रण में लेने के लिए एक विधेयक पारित किया है। यह संपत्ति बिहार और उत्तर प्रदेश में फैली हुई है और इसकी कीमत लगभग 8000 करोड़ रुपये आंकी गई है। इस फैसले से राज्य सरकार सामुदायिक कल्याणकारी योजनाओं के लिए इस जमीन का उपयोग कर सकेगी। हालांकि, इस कदम से कुछ लोगों के बेघर होने की आशंका भी जताई जा रही है, जिस पर सरकार ने आश्वासन दिया है कि प्रभावित लोगों की आपत्तियों पर विचार किया जाएगा। इस विधेयक के पारित होने के पीछे अवैध कब्जों को हटाने की कोशिशें भी एक प्रमुख कारण रही हैं, जिसके लिए राजस्व बोर्ड के चेयरमैन केके पाठक ने विशेष अभियान चलाया था।

बता दें कि बेतिया राज कभी बिहार के बड़े राजघरानों में से एक था, उसकी हजारों एकड़ जमीन अब बिहार सरकार की हो गई है। मंगलवार को बिहार विधानसभा और विधान परिषद ने इस संबंध में एक विधेयक पारित किया। इस विधेयक के माध्यम से बेतिया राज की बिहार और उत्तर प्रदेश में स्थित लगभग 15,356 एकड़ जमीन सरकार के अधीन आ गई है। राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री दिलीप जायसवाल ने इस विधेयक को सदन में पेश किया। इस जमीन की कीमत 8000 करोड़ रुपये से भी ज्यादा बताई जा रही है।

बेतिया राज परिवार के अंतिम सदस्य महारानी जानकी कुंवर का निधन 1954 में हो गया था। उनके निधन के बाद से ही इस संपत्ति को सरकार के नियंत्रण में लाने की बात चल रही थी। अब जाकर यह संभव हो पाया है। इस फैसले से सरकार को सामुदायिक कल्याणकारी योजनाओं के लिए जमीन उपलब्ध हो सकेगी।

बेतिया राज की जमीन बिहार के कई जिलों में फैली हुई है। सबसे ज्यादा जमीन पश्चिमी चंपारण (9758.58 एकड़) और पूर्वी चंपारण (5320.51 एकड़) में है। इसके अलावा सारण (88.41 एकड़), सीवान (7.29 एकड़), गोपालगंज (35.58 एकड़) और पटना (4.81 एकड़) में भी बेतिया राज की जमीन है। उत्तर प्रदेश में भी बेतिया राज की लगभग 143 एकड़ जमीन है, जो प्रयागराज, बस्ती, अयोध्या, गोरखपुर, कुशीनगर, महाराजगंज, मिर्जापुर और वाराणसी जैसे जिलों में फैली है।

इस विधेयक के पारित होने पर सीपीआई-माले के विधायक बीरेंद्र गुप्ता ने चिंता जताई। उन्होंने इसे काला कानून बताया और कहा कि इससे 1885 के बाद से वहां बसे लोग बेघर हो सकते हैं। मंत्री दिलीप जायसवाल ने उन्हें आश्वासन दिया कि कानून लागू होने के बाद सरकार जमीन की सूची जारी करेगी और प्रभावित लोगों से आपत्तियां लेकर उनका निराकरण करेगी।

राजस्व बोर्ड के चेयरमैन केके पाठक ने बेतिया राज की जमीन से अवैध कब्जा हटाने के लिए एक विशेष अभियान चलाया था। उन्होंने अधिकारियों को अवैध कब्जों का हिसाब लगाने का निर्देश दिया था। पूर्वी और पश्चिमी चंपारण में लगभग 3600 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जा पाया गया। अकेले बेतिया में 11600 अतिक्रमणकारियों की पहचान की गई, जिनमें से 8528 पर केस दर्ज किया गया। मोतिहारी में 2647 अतिक्रमणकारियों की पहचान हुई, जिनमें से 1214 पर केस दर्ज हुआ।

बेतिया राज के अंतिम राजा हरेंद्र किशोर सिंह थे, जिनका निधन 1893 में हुआ था। उनकी कोई संतान नहीं थी। उनकी एक पत्नी महारानी शिवरत्न कुंवर का निधन 1896 में हुआ, जबकि दूसरी पत्नी जानकी कुंवर का निधन 1954 में हुआ। अंग्रेजों ने जानकी कुंवर को 1897 में राजपाट संभालने के अयोग्य घोषित कर दिया था और बेतिया राज की संपत्तियों को कोर्ट ऑफ वार्ड्स एक्ट 1879 के तहत रख दिया था।

राजस्व व भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने बताया कि कोर्ट ऑफ वार्ड्स एक्ट के तहत ये जमीनें पहले से ही राजस्व बोर्ड के अधीन थीं। इस नए विधेयक के पारित होने से अब ये जमीन सीधे सरकार के पास आ गई है। और इसका इस्तेमाल सामुदायिक कल्याणकारी योजनाओं के लिए भी किया जा सकता है। इससे सरकार को जमीन का बेहतर उपयोग करने की ताकत मिल गई है।

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